"क्यों रे चंडूखाना, यहां क्या कर रहा है? चल भाग यहां से... " मुंडेर पर बैठे कौऐ की कर्कश आवाज़ से भी ज्यादा तीखी थी उसकी आवाज़। आंखें गोल-गोल, चश्मे के भीतर से खा जाने वाले अंदाज़ में यों घूर रहा था कि मानों बगैर मुझे खाए चैन नहीं आएगा उन्हे. सफाचट टकला और गोल-गोल तोंद. कद बमुश्किल सवा चार या साढ़े चार फीट. देखने में वो किसी हलवाई सा लगता था लेकिन वो था पत्रकार. नाम था रंजीव महान. एक राष्ट्रीय टीवी न्यूज़ चैनल में क्राइम रिपोर्टर था. तूती बोलती थी उसकी... आगे मीडिया ख़बर.कॉम पर। लिंक :
http://www.mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=29&tid=775
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