अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव का शुभारम्भ: 10 से 12 जनवरी तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय हिन्दी उत्सव के अकादमिक सत्रों का शुभारम्भ कल (मंगलवार) हंसराज कॉलेज में हुआ। ‘विदेशों में हिन्दी’ विषय पर बोलते हुए प्रवासी साहित्यकार उषा राजे सक्सेना जो इस उत्सव के लिए विशेष रुप से इंग्लैण्ड से पधारी थी ने कहा कि विदेशों में प्रवासी साहित्य प्रचुर मात्रा में रचा जा रहा है। वैश्विक परिदृश्य में उसका आकलन होना चाहिए। भाषाविद् विमलेश क्रांति व्रमा ने कहा कि विदेशों में हिन्दी भाषा, साहित्य, मीडिया आदि पर काफी काम हुआ है लेकिन भारतीय इससे अनभिज्ञ हैं। कनाडा (टोरंटो) से आयीं स्नेह ठाकुर ने कनाडा में हिन्दी भाषा के विकास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि टोरंटो में सरकारी और प्राइवेट स्तर पर हिन्दी का शिक्षण हो रहा है लेकिन वहां के काम की जानकारी यहां के लोगों को नहीं है। सत्र की अध्यक्षता कर रहे रुस से आए मदनलाल मधु ने कहा कि विदेशों में दो भाषाओं का अध्ययन उपयोगी है। उन्होने हिन्दी का रुसी में और रुसी का हिन्दी में अनुवाद कर दोनो देशों को करीब लाने का काम किया।
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