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Tuesday, May 5, 2009

समाचार-पत्रों में बढ़ता भाषायी खेल

वर्तमान युग सूचना क्रान्ति का युग है। इस युग में दुनिया सिमटकर छोटी हो गई है। पूंजीवाद, भूमंडलीकरण और बाजारवाद आधुनिक युग के कुछ ऐसे पहलू हैं, जिन्होंने समाज के प्रत्येक पक्ष को प्रभावित किया है। यदि यह कहा जाए कि समाचार-पत्र इनके प्रभाव से अछूते रह गए हैं तो यह अनुचित होगा।
भूमंडलीकरण ने समाज में प्रत्येक चीज़ को बाज़ार में प्रवेश करा दिया है जहाँ सभी प्रतिस्पर्धा की होड़ में लगे हुए हैं। समाचार-पत्र भी बाज़ार में प्रवेश कर चुके हैं। यही कारण है कि सभी समाचार-पत्र, बाज़ार में अपना ऊँचा स्थान बनाने के लिए भाषायी खेल का सहारा ले रहे हैं। तथा समाचार-पत्रों की भाषा के वास्तविक स्वरूप को अनदेखा कर एक नई भाषा गढ़ रहे हैं जो सही मायने में समाचार-पत्रों की भाषा न होकर बाज़ार की चकाचौंध भरी जिंदगी में जीने का एक मंत्र है। आगे मीडिया ख़बर.कॉम पर।
लिंक : http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=89&tid=974

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