मशहूर लेखक खुशवंत सिंह सुधर नहीं सकते। अब मुझे इसका यकीन हो चला है। कहते हैं उम्र के आखिरी पड़ाव में इंसान भगवान को याद करता है और पूजा-पाठ तथा ईश-भक्ति कर अपने पापों के लिए क्षमा मांगता है ताकि उसका परलोक सुधर सके। लेकिन यहां तो उल्टी ही गंगा बह रही है। क्षमा मांगने की तो छोड़िए जनाब, पाप पर पाप किए जाने की लत लगातार बदतर होती जा रही है। दिन-ब-दिन वयोवृद्ध लेखक की ठरक नई-नई हदें बनाती और लांघती जा रही है।
ऐसा लग रहा है कि 93 साल की इस कंपकंपाती उम्र में खुशवंत सिंह साहब ने कसम खा ली है कि जनाब वो सभी पाप अभी ही कर लेंगे जो उन्होने ताउम्र नहीं किए या नहीं कर पाए। तभी तो अपनी लंपटता की नई-नई मिसालें देते अघा नहीं रहे हैं वो। वो खुद को ............आगे मीडिया ख़बर.कॉम पर।
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