रियलिटी शो का रेला- लेखक - अजय नाथ झा, 21-Feb-10
आजकल हमारे देश की जनता एक ऐसे उदबिलाव के हैरतअंगेज नखरे और नज़ारे का मज़ा ले रही है जिसका नाम है रियलिटी शो। आप कोई भी टीवी चैनल खोल ले, ऐसे यर्थाथवादी शो आपको हर होटल में परोसे गए बुफे लंच या डिनर की तरह हर दिन और रात मिलेंगे। मांस का लोथड़ा वही रहता है। शोरबा या फिर गोश्तबा या कोई उसका कीमा बनाता है। इसी तरह रियलिटी शो का मूलमंत्र वही रहता है जनता दर्शकों की भावनाओं में रोने हंसाने का छोंक डालकर करोड़ों की सब्जी पकाना। इसी रियलिटी शो की मेहरबानी से कोई रातों - रात सुपरस्टार बन जाता है तो किसी की मेहनत की आस्तीन तार-तार हो जाती है। इसी शो की वजह से इतिहास के पन्ने की तरह भूला दिए गए। पुराने कलाकारों के वारे-न्यारे हो जाते हैं तो कभी अच्छे नए प्रतिभाशाली अदाकार या फनकार एसएमएस या ऑनलॉइन वोटिंग की विभीषिका में झुलस कर किनारे हो जाते हैं। कभी कोई अपनी अलादीनी प्रसिद्धि पर हंसता है तो कोई निर्थाथ के आत्मीयतापन का रोना रोता है। मगर क्या ये सच नहीं कि रियलिटी शो के नाम पर यही तो सबकुछ होता है।
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