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Thursday, September 15, 2011

सांस्‍कृतिक विरासत की परत दर परत पड़ताल

सांस्‍कृतिक विरासत की परत दर परत पड़ताल: साहित्यिक एवं सांस्‍कृतिक विरासत को नई पीढी में संचारित करने के उद्देश्‍य से महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय, वर्धा के इलाहाबाद केंद्र द्वारा बीसवीं सदी का अर्थ : जन्‍मशती का संदर्भ श्रृंखला के अंतर्गत बीसवीं सदी के प्रथम एकांकीकार व नाटककार भुवनेश्‍वर की जन्‍मशती पर भुवनेश्‍वर एकाग्र विषय पर आयोजित दो दिवसीय (10-11 सितम्‍बर, 2011) समारोह का उद्घाटन साहित्‍य आलोचक व विश्‍वविद्यालय के कुलाधिपति नामवर सिंह ने किया। समारोह में समय और समाज की कसौटी पर परखते हुए भुवनेश्‍वर के जीवनसंघर्ष और उनकी रचनाओं की परत दर परत पड़ताल की गई।

व्‍यक्ति के रूप में भुवनेश्‍वर पर विमर्श करते हुए नामवर सिंह ने कहा कि भुवनेश्‍वर अपने दौर के अद्भुत रचनाकार थे। उनकी गद्य लिखने की शैली, फैंटेसी रचने की कला अनूठी थी। नाटकों में भी उन्‍होंने कई प्रयोग किए। ऐतिहासिक और सामाजिक विषयों पर लिखे नाटकों में भुवनेश्‍वर की अद्भूत कल्‍पनाशीलता नज़र आती है। भूले-बिसरे नाटककार को याद करना देश के किसी भी विश्‍वविद्यालय का पहला आयोजन है। ऐसे वैचारिक विमर्श से हम भुवनेश्‍वर के कृतित्‍व से परिचित हो सकेंगे।

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