अन्ना को बिन मांगी मेरी सलाह: कर्पूरी ठाकुर-जयप्रकाश नारायण प्रसंग से अन्ना और उनकी टीम को सीख लेनी चाहिए। जयप्रकाश आंदोलन का राजनीतिकरण करने से ही इंदिरा गांधी की हेकड़ी टूटी थी। बोफोर्स की लड़ाई में भाजपा-कम्युनिस्ट पार्टियों की सक्रियता से ही राजीव गांधी को हार के रूप में सजा मिली थी और वीपी सिंह परिवर्तन के मसीहा बने थे। अन्ना को राजनीति से परहेज क्यों? जन लोकपाल की लड़ाई का राजनीतिकरण करो तभी जनाक्रोश की अग्नि कारपोरेटीकरण की राजनीतिक परिदृश्य को जलायेगी, लोकतंत्र को भ्रष्टाचार मुक्त बनायेगी और लोकतंत्र को जनांका़क्षी बनायेगी।
महात्मा गांधी /राम मनोहर लोहिया/जय प्रकाश नारायण और वीपी सिंह से अन्ना को बड़ा मानना भूल होगी। अन्ना को जयप्रकाश नारायण कहने वाली शक्तियां थोड़ी जल्दीबाजी में हैं और रातों-रात ही नहीं बल्कि मिनटों में वह व्यवस्था परिवर्तन का स्वपन देख रही हैं।
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