जख्म अभी जिंदा है: "मुंबई में बम फटे। धमाके हुए। लोग मरे। और बहुत सारे घायल भी हुए। इन धमाकों के बाद सोनिया गांधी मुंबई आईं। साथ में अपने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी लाईं। रस्म निभाने के लिए दोनों विस्फोट स्थलों पर गए। रिवाज के तहत मृतकों के परिजनों से मिले। उनको ढाढ़स बंधाया। जख्मों पर मरहम लगाने अस्पतालों में भी गए। घायलों से मिले। उनको सांत्वना दी। मुंबई के सामान्य लोग बेचारे बाग – बाग, कि तकलीफ के मौके पर देश के दो सबसे बड़े नेता शहर को संभालने दिल्ली से दौड़े चले आए। मगर क्या तो उनका आना, और क्या जाना। इस शहर की जिंदगी के असली आसमान पर मनमोहन और सोनिया गांधी का आज कोई असर नहीं है। वे आए। मगर ना भी आए होते, तो भी यह शहर यूं ही जिंदा रहता। जिन घायलों से वे मिले, उन पर भी उनके आने का कोई असर नहीं।
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