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Sunday, February 13, 2011

एंकर की जुबानी टेलीविजन के ईद की कहानी

एंकर की जुबानी टेलीविजन के ईद की कहानी: "चांद हर रोज़ निकलता है पर ईद हर रोज़ तो नहीं मनती ... लेकिन टेलीविजन जगत में ईद रोज़ मनती है .. आपने ईद की तैयारी की है या नहीं , आपका मूड ठीक है या नहीं ...लाख परेशानियां हों आपकी जिन्दगी में लेकिन आपको तो मनानी है ईद। आप पूछ रहे हैं कैसे....बताती हूं ...फिज़ा और चांद की कहानी से तो आप वाकिफ ही होंगे .. इनकी निजी ज़िंदगी में जब हमारी एंट्री होती है तो क्या हकीकत क्या फसाना ...हर मोड़ पर हम साथ होते हैं , उनके किस्से की हर करवट हम से होकर गुज़रती है । दोनों ने शादी कर ली तो हल्ला , चांद भाग खड़ा हुआ तो शोर। चांद यानी चन्द्रमोहन लौटे तो फिज़ा की ईद भले ही नहीं मनी पर हमारी तो मनी, धूमधाम से मनी...क्योंकि हम नॉन स्टॉप चांद का , फिज़ा का और दोनों के रिश्तों का पोस्टमॉर्टेम करने में लग गए। और ये सब कुछ करता है एंकर ।

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