श्रद्धांजलि : पोलि विजय राघव रेड्डी नहीं रहे: "‘डॉ. विजयराघव रेड्डी इज नो मोर।’ प्रो.एन. गोपि का फोन था। अविश्वास नहीं किया जा सकता था। श्रीनिवासपुरम (रामांतपुर, हैदराबाद) में एक ही गली में आमने सामने हैं दोनों के घर। पर मन न माना। डॉ.रामनिवास साहू का फोन मिलाया। केंद्रीय हिंदी संस्थान परिवार के नाते। उन्होंने दुखी सी आवाज में कन्फर्म किया। मंगलवार, 8 फरवरी, 2011 को रात के बारह बजे डॉ.विजयराघव रेड्डी ने अंतिम सांस ली। कुछ समय पूर्व बीमार जरूर थे, पर इन दिनों तो ठीक ही थे। अस्थमा और प्रोस्टेट की व्यथा काफी अरसे से थी। पर अचानक ऐसा हो जाएगा - लगता न था। सोचा डॉ.शकुंतला रेड्डी जी को फोन करूँ। पर कर न सका। ऐसे मौकों पर मैं बड़ा असहाय सा हो जाता हूँ - असहज सा भी। दूर पास के दोस्तों को फोन कर करके जैसे स्वयं को हल्का करने की कोशिश करता रहा।
- Sent using Google Toolbar"
No comments:
Post a Comment