सोती सरकार, उफनती जनता: बुश, अरुंधती रॉय, चिदंबरम आदि के बाद इस बार प्रशांत भूषण. सारी घटनाओं को करीब से देख कर आसानी से समझ में अआता है कि गुस्सा अपने चरम पर है..बरसों पहले एक फिल्म बनी थी, अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है. गुस्सा भगत सिंह को भी आया है. गुस्सा उन सभी को आया था जो इस देश पर अंग्रेजों की गुलामी से आजिज़ आ चुके थे. आज़ादी मिली तब भी गुस्से का बना रहना जारी रहा. इमरजेंसी लागू हुई तो गुस्सा अंदर ही अंदर भरने लगा. सरकारें बदलती रही और जनता को अलग-अलग तरीकों से गाँधी टोपी पहनाती रही तो भी गुस्सा आया. बाबरी मस्जिद से लेकर गोधरा, इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी की हत्या, पंजाब का आतंकवाद, नक्सलवाद, कभी न ख़त्म होता भ्रष्टाचार, सबकी खबर लेकर सबको खबर देने वाले का खुद पैड न्यूज़ मैं रंगे हाथों पकडा जाना भी गुस्से की वजह बना.
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