गोनू झा कहिन.....माया की महामाया: एक दिन भरी दोपहर में ही गोनू झा अपना पोथी -पत्रा का भंडार खोल कर सड़क के बीच में ही बैठ गए. जनता परेशान कि उनको अचानक क्या हो गया. आखिर में गाँव के सरपंच से रहा नहीं गया. उसने जाकर पूछ ही लिया कि पंडित जी ये क्या कर रहे हैं. बस क्या था ! गोनू झा भड़क गए और सरपंच को ही दो चार सुना डाली और साथ ही यह भी कहने से नहीं चूके कि उन्होंने अपनी पत्नी से दस साल पहले जो वादा किया था उसको पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. मगर उनकी फरमाइश क्या थी वही एक कागज़ में लिखा था जिसको वो बेसब्री से तलाश कर रहे थे. कही, वो कागज़ मिल गया जिसमे ये लिखा था कि:-
मरने के बाद मेरे कब्र पर आलू बोना
हर राहगीर समझे ,ये चाट का शौक़ीन थी
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