साहित्य और पत्रकारिता में निकट का नाता: "भोपाल, 3 मार्च। साहित्य और पत्रकारिता में गहरा संबंध है। देश में पत्रकारिता का आरंभ भी साहित्य के उद्देश्यों को ही नए माध्यम और नए रूप में प्रस्तुत करने के लिए हुआ था। पत्रकारिता का धर्म वास्तव में संस्कृति की रक्षा करना है। उक्त बातें सुविख्यात साहित्यकार प्रो. ओमप्रकाश सारस्वत ( शिमला) ने माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के जनसंचार विभाग में आयोजित व्याख्यान में कहीं। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से आज की पत्रकारिता साहित्य के पवित्र उद्देश्यों को छोड़कर गलत रास्तों पर चल पड़ी है। अर्थ प्रमुख हो गया है और बाकी सारे आदर्श व्यर्थ हो गए हैं।
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