आज़ाद न्यूज़ के एच आर हेड सैलरी नहीं देते, लेकिन इश्क जरूर फरमाते हैं: "हमें इश्क है, आपको क्या? आपको इश्क है, हमें क्या ? लेकिन आपके इश्क से आपके काम पर असर पड़े . पत्रकारों को कोफ़्त हो तो फिर मतलब तो हो जाता है. क्यों नदीम साहब. सही फरमाया न .
नदीम साहब यूँ तो आज़ाद न्यूज़ के एच आर हेड हैं. लेकिन सही मायनों में पत्रकारों के विलेन हैं. टेलीविजन न्यूज़ इंडस्ट्री के सबसे बदनाम एच.आर हेड. इनका नाम आते ही इन्हें सारे पत्रकार गालियों से तर कर देते हैं. किसी का तीन महीने का बकाया है तो किसी का चार महीने का. फिर पत्रकार इन्हें गालियाँ क्यों न दें.यह उनका हक जो मार रहे हैं.
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