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Saturday, January 21, 2012

'हिन्द स्वराज’ के बहाने “विचार” पर मंथन

'हिन्द स्वराज’ के बहाने “विचार” पर मंथन: संजय कुमार / लखनऊ । गाँधी के जीवन वृत, परस्पर संबंध व किसी घटना पर केन्द्रित अनेकों फ़िल्में, उपन्यास, नाटक रचे गये हैं पर कहानी को सुनाने व दिखाने की अपेक्षा विचारों को दिखाने का प्रयास पहली बार नाटककार-निर्देशक राजेश कुमार अपनी आगामी प्रस्तुति ‘हिन्द स्वराज’ द्वारा करने जा रहे हैं। उनका मानना है कि आज सबसे बड़ा संकट “विचार” का है। वर्तमान राजनीतिक, सांस्कृतिक व साहित्यिक परिदृश्य से सर्वाधिक लुप्त विचार ही हो रहा है। या यों कहें कि महत्वहीन व हाशिये पर जा रहा है।

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