अब सवाल अन्ना का नहीं देश का है: रात साढ़े बारह बजे तिहाड़ जेल के गेट नंबर तीन पर अचानक एक व्यक्ति ने पीछे से हाथ पकड़ते हुए मराठी में कहा, ‘मी शरद पोटले। रालेगन सिद्दि हूण आलो (मैं शरद पोटले। रालेगन सिद्दि से आया हूं)। मुझे 1991 में महाराष्ट्र में अन्ना का वह आंदोलन याद आ गया जो नौकरशाही के भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन की शुरुआत कर उन्होंने राज्य सरकार से सीधे कहा था कि भ्रष्ट अधिकारी हटाओ वरना अनशन जारी रहेगा। हफ्ते भर में ही जैसा समर्थन आम लोगों से अन्ना को मिला उससे उस वक्त की कांग्रेस सरकार इतने दबाव में आ गई कि उसने समयबद्ध जांच करवाने के आदेश दे दिए और 40 भ्रष्ट नौकरशाह बर्खास्त कर दिए गए।’
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