बाबाओं की टीआरपी में टीवी की टीआरपी का खेल: "सड़क के फुटपाथ से उठकर चैनल के स्टूडियों से लाइव टेलिकास्ट करने वाला बाबाओं का आज एक घराना बन गया है,- ‘बाबाओं का उद्योगपति घराना’। बड़ी-बड़ी लग्जरी गाड़ी में स्टूडियों तक आना, लेपटाप और ज्योतिष के अंक गणित से लोगों का भूत, वर्तमान और भविष्य बताने वाला बाबा को पता है, कि गॉव-घर, नगर-महानगर के लोगों की सोच क्या है? दुनिया लेपटॉप से सुसज्जित बाबा को आधुनिकता और विज्ञान की कसौटी पर कसकर देखने लगी है। ऐसी दशा में लोगों की मनोदशा को भांपने और समझने वाला बाबा, ज्योतिष शास्त्री कम और मनोवैज्ञानिक ज्यादा होते है। लोगों की भावनों की कद्र करना और उसके अनुकूल प्रश्नों का सकारात्मक जबाव देना, उनकी सफलता का पहला मूलमंत्र होता है, वरना समाज उसे नकार देगा और उसकी टीआरपी कम हो जायेगी।
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