सिनेमा के ये नए शिल्पकार: "यह दौर विद्रोही निर्देशकों का है, जो कम बजट में समाज की सच्चाइयों से रू-ब-रू कराने वाली साफ सुथरी छोटी फिल्में बनाकर साबित कर चुके हैं कि सिनेमा मनोरंजन का माध्यम मात्र नहीं बल्कि इससे आगे भी कुछ है। ये वे निर्देशक हैं जिन्हें सिने जगत कभी सनकी कहकर पुकारता था लेकिन आज बॉलीवुड इनकी सनक का कायल है।
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