Search This Blog

Sunday, July 24, 2011

समाज सेवा माने नोट छापने की मशीन

समाज सेवा माने नोट छापने की मशीन: "कनॉट सर्कस को दिल्ली का दिल माना जाता है। विगत दो सालों से इस दिल के एम ब्लॉक में तकरीबन प्रति दिन मेरा आना-जाना है। इन दो सालों में मैंने लगभग 30-35 लावारिस लाशों को अपनी आँखों से इस ब्लॉक के आस-पास देखा है। दायरा ज्यादा बड़ा नहीं है- एम, जी, एन, एच ब्लॉक के अलावा शिवाजी ब्रिज, शंकर मार्केट और सुपर बाजार।

किसी लाश के मुँह पर मक्खी भिनभिनाती रहती है तो किसी लाश की आँखें खुली होती हैं तो किसी की बंद। हर आम आदमी नाक-मुँह सिकोड़ कर आगे बढ़ जाता है। न किसी के मन में दया है और न ही संवेदना। ‘साला स्मैकिया होगा’, फुसफुसाते हुए लाश के सामने से अक्सर लोग गुजर जाते हैं। जबकि मरने वालों में बच्चे, जवान और बूढ़े सभी हैं। कैसे और क्यों मरा ? इसकी पड़ताल करने की जहमत कोई उठाना नहीं चाहता। सभी अपने जीवन को जेट की रफ़्तार से जीने में मशगूल हैं।

- Sent using Google Toolbar"

No comments:

Post a Comment