अम्बिकानंद सहाय से अमर सिंह का डर: "भारतीय राजनीति भगत सिंह से लेकर अमर सिंह तक की यात्रा तय कर चुका है। आज की राजनीति में व्यवसाय, सिनेमा, कॉरपोरेट दबाव समूहों और निजी हितों के घालमेल का जाल बदतर इरादों के लिए जितना बेहतर अमर सिंह बुन सकते हैं उतना शायद ही कोई राजनेता कर पाएगा। मानी हुई बात हो चली है कि अमर सिंह राजनीति में कॉरपोरेट लॉबिंग करने वालों के प्रतिनिधि हैं या कहें कि दलाल हैं। वो खुद भी मान चुके हैं कि वो एक दलाल हैं। कभी ऐसे तत्व राजनीति के बाहर ही अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल करते थे, लेकिन जबसे उन्हें ये अहसास हुआ कि वे खुद राजनीति के खिलाड़ी बन सकते हैं तो पर्दे के पीछे रहकर अभिनय करने को उन्होंने अस्वीकार करना शुरू कर दिया और सियासी रंगमंच पर अवतरित होकर अपनी प्रबंधकीय कलाओं की सड़ांध पसारने लगे।
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