अम्बिकानंद सहाय ने पत्रकारों की इज्जत बचा ली: "प्रभु चावला, वीर संघवी, बरखा दत्त और ऐसे ही कुछ और दलाल दोषित हो चुके दोहरे चेहरों की वजह से मीडिया की छवि भले मलीन हुई हो। लेकिन इस घनघोर और घटाटोप परिदृश्य में अंबिकानंद सहाय नाम का एक आदमी ऐसा भी निकला, जो मलीन होते मीडिया की भीड़ में हम सबके बीच रहते हुए भी बहुत अलग और बाकियों से आज कई गुना ज्यादा ऊंचा खड़ा दिखाई दे रहा है।
प्रभु चावला मीडिया में अपने आपको बहुत तुर्रमखां के रूप में पेश करते नहीं थकते थे। लेकिन रसूखदार, रंगीन और रसीले अमरसिंह के उनके सामने गें-गैं, फैं-फैं करते, लाचार, बेबस और दीन-हीन स्वरूप में करीब - करीब पूंछ हिलाते हुए नजर आते हैं। अमरसिंह धमकाते हैं,
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