राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की समीक्षा जरूरी-अरविंद गौड़: "राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) की स्थापना थियेटर के विकास और ट्रेनिंग देने के लिए हुई थी. लेकिन पिछले दस सालों में यहाँ से प्रशिक्षण प्राप्त विद्यार्थी थियेटर करने की बजाये फिल्मों में चले जाते हैं. ऐसा वे इसलिए करते हैं क्योंकि थिएटर में संभावनाएं कम दिखती है. फिर फिल्म - टीवी की तरह ग्लैमर और एक्सपोजर भी नहीं. इसलिए थियेटर से काम सीख फिल्मों की तरह लोग रूख करते हैं. इसके लिए थियेटर आर्टिस्ट को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. इसके लिए सरकार की सांस्कृतिक नीतियाँ ज़िम्मेदार है.
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