सहारा पेड न्यूज से भी खतरनाक काम कर रहा है: "सहारा ने विज्ञापन कराके अपनी टोपी और उछालने का काम किया है। विज्ञापन के मामले में एक औसत व्यक्ति भी समझता है कि ये पैसे से करवाए जाते हैं और इसकी बात सच नहीं होती है। विज्ञापन में झूठ या सरोगेट मैनिपुलेशन हमेशा शामिल रहता है। ये अलग बात है कि लोग इसके बावजूद भी उसके उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं।
सुब्रत राय ने विज्ञापन कराकर लोगों का विश्वास हासिल करने के बजाय अपनी शक्ति और औकात प्रदर्शित करने की कोशिश की है। संभव है कि कल किसी अखबार का पूरा पन्ना ही अपने पक्ष में विज्ञापन से रंगवा दें। लेकिन इससे क्या हो जाएगा? सोशल इमेज विज्ञापनों से हासिल नहीं किए जा सकते।
- Sent using Google Toolbar"
No comments:
Post a Comment