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Friday, April 29, 2011

सीएनईबी के तीन सौ लोगों का दर्द सुनिए सरान साहब....

सीएनईबी के तीन सौ लोगों का दर्द सुनिए सरान साहब....: "सरान साहब...... ये कोई निजी रंजिश नहीं... कोई साजिश नहीं... कोई भड़ास नहीं... बल्कि हकीकत है जो हम कहने जा रहे हैं। और इसमें तीन सौ से ज्यादा लोगों की चीख पुकार औऱ दर्द छिपी हुई है.. जो आपके अपने लोग हैं, जिन्होने आपके साथ हर समय खड़े रहने में तत्परता दिखाई है। इसलिए नहीं कि सीएनईबी में काम करके हम अपना पेट और परिवार चलाते हैं बल्कि इसलिए कि दुख की हर घड़ी में आप घर के बड़े सदस्यों की तरह धन और समय की परवाह किए बगैर सदैव हमारे साथ खड़े रहे हैं। चाहे कर्मचारियों की वेतन हो या फिर दुख के समय में उन्हे मदद देने की बात... (इस बात कि चिंता किए बगैर की चैनल घाटे में जा रहा है...और लागत की रकम भी वहां से नहीं निकल पा रही है)

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