चैनल पर जनता की वाणी: "25 साल पहले इस देश में एक प्रयोग की शुरूआत हुई थी। नाम था –जनवाणी। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को यह सुविचार आया था कि थकते हुए दूरदर्शन में नई ताकत का संचार भरने के लिए एक ऐसे कार्यक्रम की शुरूआत की जाए जिसमें जनता जन प्रतिनिधियों से सीधे तौर पर खुलकर सवाल पूछ सकें। कुबेर दत्त को इस कार्यक्रम का प्रोड्यूसर बनाया गया। कार्यक्रम खूब चला लेकिन के सी पंत से जुड़े एक विवादास्पद कार्यक्रम के प्रसारण के बाद बाद इस कार्यक्रम का पतन आरंभ हो गया। इसके बावजूद यह कार्यक्रम अपने मकसद में कामयाब रहा। इसने जनता के स्टूडियो तक पहुंचने की नींव रखी। यह भारत में जनता के मुखर बनने का पहला बिगुल था। जनता और प्रतिनिधियों के बीच बना यही सेतु आज एक कद्दावर रूप में उभर कर सामने आ गया है।
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