Search This Blog

Thursday, February 17, 2011

बीबीसी रेडियो - कोई अपना खो जाएगा

बीबीसी रेडियो - कोई अपना खो जाएगा: "कृषक ललन शुक्ल की नज़र में बीबीसी रेडियो :

बीबीसी हिंदी : अपनी भाषा में सटीक ख़बरें :

बीबीसी हिंदी रेडियो को सुनना मानों अपने किसी विश्वासी की बात सुनना है. कोई अपना जो सच्ची, सही और सटीक ख़बरें हमें हमारी अपनी भाषा में रोज सुनाता है. हम कोई बहुत पढ़े - लिखे लोग नहीं है. साधारण किसान हैं. दिन भर खेतों में काम करते हैं. हमारे लिए शाम को अपनी थकान मिटाने का एकमात्र जरिया रेडियो ही है. बिजली का अभाव है इसलिए जिनके पास टेलीविजन भी है वो भी टेलीविजन नही देख सकते. रेडियो सुनना आदत है और जीवनशैली का हिस्सा.

रेडियो पर यूँ तो बहुत कुछ सुनते हैं , मसलन गाना - बजाना , कृषि समाचार आदि और भी बहुत कुछ. लेकिन कुछ सुने या न सुने बीबीसी जरूर सुनते हैं. दिन भर की खबरों की खुराक हमें यही से मिलती है. ज्ञान - विज्ञान , राष्ट्रीय - अंतर्राष्ट्रीय खबरों को जानने का जरिया भी यही है. किसान तो किसान इसे खेतों में या दूसरी जगह दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूर भी सुनते हैं और बीबीसी को बखूबी जानते हैं. कहने का मतलब है कि अनपढ़ लोग भी बीबीसी को सुनते हैं.

- Sent using Google Toolbar"

No comments:

Post a Comment