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Tuesday, December 14, 2010

संवेदना के धागों से बुनी एक खबर

संवेदना के धागों से बुनी एक खबर: "यह मीडिया का एक नया युग है। यहां चौबीसों घंटे राजनीति नहीं परोसी जा सकती। किसी राजनियक, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या सेलिब्रिटी की यात्रा के ऊबाऊ भाषण जनता को ज्यादा खींच नहीं सकता। यह रिपोर्टिंग का मानवीयकरण है। यहां खबर को संवदनाओं के धागे में ऐसा बुना जाता है कि सारे समीकरण ही बदले नजर आने लगते हैं। वे ऐसा बदलते हैं कि यात्रा का अंत आते-आते राष्ट्रपति ओबामा पर मिशेल भारी पड़ जाती हैं।

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