अर्थ और उत्पत्तिछत्तीसगढ़ में आदिवासियों के लिए आये दिन नक्सली होने के आरोप को झेलना और पुलिसिया अत्याचार को सहना आम बात है। हालात इतने बदतर हो गये हैं कि पुलिस उनको नक्सली समझती है और नक्सली उनको पुलिस का मुखबिर मानते हैं। लिहाजा अपनी बदहाल स्थिति से निजात पाना ही आदिवासियों का शुरु से मूल उद्देश्य रहा है और यह तभी संभव है जब नक्सलियों को वे अपने घर, गाँव से बाहर खदेड़ने में सफल होते हैं। इस संदर्भ में एक अरसे से आंतक और भय के माहौल में जी रहे सीधे-साधे आदिवासियों के प्रतिकार के प्रतीक के रुप में सलवा जुडूम के गठन को देखा जा सकता है।
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