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Saturday, March 27, 2010

अर्श से फर्श पर पहुंचे चापलूस अधिकारी

एक जगल में एक संत के आश्रम के समीप एक चूहा रहता था। वह संत से काफी घुल मिल गया था। उसे तमाम जंगली जीवों से खतरा रहता था। एक दिन उसने संत से अपनी व्यथा बयां की तो संत को उस पर तरस आ गया और उससे कहा कि जाओ, आज मैं तुम्हें सिंह बनाए देता हूं किन्तु शर्त यह है कि तुम अपने इस रूप का इस्तेमाल केवल अपनी सुरक्षा आदि के लिए करना। इसका कहीं दुरूपयोग मत करना। चूहे की स्वीकारोक्ति पर संत ने उसे सिंह बना दिया। कुछ दिन तक वह पूर्व की भांति संत के पास आकर उनका आशीर्वाद लिया करता था किन्तु एक दिन उसे अहंकार आ गया और वह आकर संत के सामने दहाड़ने लगा। इससे नाराज संत ने कहा कि तुम पुनः चूहा बन जाओ। कुछ ऐसा ही हाल अभी सप्ताह भर पूर्व तक उत्तर प्रदेश के सूचना निदेशक जैसे महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी सम्हाले रहे अजय कुमार उपाध्याय का हुआ। उन्हें न केवल इस अति महत्वपूर्ण कुर्सी से हटाया गया, वरन् संशाधन विहीन देवीपाटन मण्डल के अपर आयुक्त की कुर्सी पर भेजा गया। उपाध्याय को देवीपाटन मण्डल का अपर आयुक्त बनाकर गोण्डा भेजे जाने की जानकारी मुझे जैसे ही कल दोपहर को मिली तो मुझे सहसा एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के एक कविता की दो लाइनें याद आ गईं।
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