सूरत में जीरो स्लम आपदा- शिरीष खरे/सूरत से, 28-Jan-10
एक जमाने में विकास के लिए ‘गरीबी हटाओ’ एक घोषित नारा था। मगर आज आलम यह है कि विकास के रास्ते से ‘गरीबों को हटाना’ एक अघोषित एंजेडा बन चुका है। बतौर एक शहर, सूरत के उदाहरणों से यह समझा जा सकता है कि ‘गरीबी की बजाय गरीबों को हटाने’ का यह व्यंग्यात्मक मुहावरा किस तरह से गंभीर हकीकत में तब्दील हुआ है।
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