प्रभाष जोशी का यूँ चले जाना- लेखक : जनसंगठनों की क्षति और जन सरोकारी पत्रकारिता में निर्वात
वरिष्ठ पत्रकार प्रभाष जोशी का निधन न सिर्फ पत्रकारिता, बल्कि देश के जनसंगठनों के लिए भी अपूरणीय क्षति है। ऊनके निधन से दोनों ही स्थानों पर निर्वात महसूस किया जा रहा है।जोशी देशभर के सामाजिक समूहों से न सिर्फ जुड़े रहे, बल्कि उन्होंने ऐसे समूहों ने सक्रिय भागीदारी भी की। ऊन्होंने देश के किसानों, दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और वंचित वर्गों के मुद्दे न सिर्फ अपनी लेखनी के माध्यम से उठाये, बल्कि वे उनसे करीब से जुड़े भी रहे। ऐसे ही समूहों में 'नर्मदा बचाओ आंदोलन' भी शामिल है। READ MORE...
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