- सतीश कुमार सिंह
कहते हैं कि स्त्री और पुरुष एक सिक्का के दो पहलू हैं, लेकिन भारत में हकीकत ठीक इसके उलट है। आज भी भारत में महिलाओं के साथ जिंदगी के हर कदम पर दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है। उन्हें पुरुषों के समकक्ष कभी नहीं समझा जाता। भले ही आज तस्वीर थोड़ी सी बदल गई है, फिर भी हालात आज भी शोचनीय है।
कितनी बड़ी उलटबाँसी है कि 21 वीं सदी के इस दौर में भी औरत को डायन बता कर मारा जा रहा है। कन्या भ्रूण को जन्म लेने के पहले ही मौत की नींद सुलाया दिया जाता है। आगे मीडिया ख़बर.कॉम पर।
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