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Thursday, April 9, 2009

भारत के लिए विश्व बैंक

भारत के लिए विश्व बैंक - शिरीष खरे, बुधवार, 08 अप्रैल, 2009
विश्व बैंक की शर्तो के तहत गरीबी हटाने के नाम पर किए गए ढांचागत समायोजन कार्यक्रमों के परिणाम अब सर्वत्र दिखाई देने लगे हैं । भारत विश्व बैंक के ४ सर्वाधिक बड़े कर्जदारों में शामिल है । नव-उपनिवेशवादी नीतियों के कारण देश की ६५ प्रतिशत आबादी का भरण-पोषण करने वाला कृषि क्षेत्र आज दयनीय हालत में है । हरित क्रांति की आत्ममुग्धता के बावजूद खाद्यान्न आत्मनिर्भरता लगातार कम हो रही है । विदेशी मुद्रा भण्डार का बड़ी मात्रा में उपयोग अनाज, दलहन और खाद्य तेलों के आयात में हो रहा है । पूरा लेख मीडिया ख़बर.कॉम पर । लिंक : http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=115&tid=881

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