सामुदायिक रेडियो की आत्मनिर्भरता
‘‘बहनों आओ अपने संघम पर साथ -साथ चलें,
ताकि हम बात कर सकें,
हमने अपना खोया हुआ,
संवाद फिर से पा लिया है,
और उसे एक सजीव रूप में,
रेडियो पर ले आए हैं,
हमने अपने कहीं खो रहे उत्सवों को रिकॉर्ड किया है,
और उनके बारे में अपने रेडियो पर बात की है,
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