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Saturday, March 28, 2009

मध्यप्रदेश में गहराता जल संकट

कभी महात्मा गांधी ने कहा था कि प्रकृति हमारी जरुरतों को तो पूरा कर सकती है, लेकिन हमारे लालच को नहीं। जिस तरह बिना सोचे -समझे हम प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहे हैं , वह सिर्फ हमारी लोलूप मानसिकता का परिणाम है, न कि हमारी जरुरतों का। इंसान की इस क्षुद्र मानसिकता के बारे में किसी ने खूब लिखा है-
पेड़-पौधेकट गयेजंगलों के निशांमिट गयेनदियों का पानीसड़ गयाजीवन का चेहराबिगड़ गयाधुआं और शोरइस कदर बढ़ गयाप्राण सबका घुट गयाप्रकृति का जर्रा-जर्रारोता रहा, बिलखता रहायूं ही पल-पलमरता रहाइस तरहसब कुछ होता रहालेकिनदेश बचा रहाआजादी कायम रहीआदमी मरा नहीं। ....
पूरालेख मीडिया ख़बर .कॉम पर। लिंक : http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=115&tid=822

Thursday, March 26, 2009

मीडिया ख़बर पर नई प्रविष्टियाँ - गुरूवार, २६ मार्च


* चीन में यू ट्यूब ब्लॉक हुआ http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=42&tid=819


* असम में अखबार के संपादक की हत्याhttp://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=63&tid=820


* बैंक व्यवस्था में सुराग के मतलब http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=115&tid=818

* चुनाव आयोग को अपनी मर्यादा में रहना चाहिए--राजनाथ सिंह (न्यूज़ 24 के कार्यक्रम आमने-सामने में राजनाथ सिंह) http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=114&tid=816

* पत्रकार सौम्या विश्वनाथन की हत्या की गुत्थी सुलझाने का दावा http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=63&tid=813

*दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा में राष्ट्रकवि ‘दिनकर’ शताब्दी समारोह संपन्नhttp://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=29&tid=815

Wednesday, March 25, 2009

चुनाव आयोग को अपनी मर्यादा में रहना चाहिए--राजनाथ सिंह (न्यूज़ 24 के कार्यक्रम आमने-सामने में राजनाथ सिंह)

राजनाथ सिंह चुनाव आयोग के वरूण गांधी पर दिए गए फैसले पर खासे खफा हैं। राजनाथ सिंह का कहना है कि चुनाव आयोग को अपनी मर्यादा में रहना चाहिए "हमें अपनी मर्यादा में रहना चाहिए तो कोई संवैधानिक संस्था है तो उसे भी अपनी मर्यादा में रहना चाहिए।" राजनाथ सिंह ने कहा कि वरुण गांधी का कहना है कि उसने भड़काऊ भाषण नहीं दिया है और सीडी में उनकी आवाज नहीं है। राजनाथ का कहना है कि वरूण गांधी की इन बातों पर उनको पूरा विश्वास है। पूरीख़बर मीडिया ख़बर.कॉम पर। लिंक : http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=114&tid=816

Monday, March 23, 2009

ज़ी न्यूज़ की अलका सक्सेना सर्वश्रेष्ठ न्यूज़ एंकर और आजतक की श्वेता सिंह सबसे ग्लैमरस महिला एंकर बनी


ज़ी न्यूज़ की अलका सक्सेना सर्वश्रेष्ठ न्यूज़ एंकर और आजतक की श्वेता सिंह सबसे ग्लैमरस महिला एंकर बनी - मीडिया खबर, मार्च, 2009
हिंदी समाचार चैनलों में काम करने वाली महिला पत्रकारों पर केंद्रित सर्वे का परिणाम :

हिंदी के समाचार चैनलों में काम करने वाली महिलाओं को केंद्र में रखकर मीडिया खबर।कॉम ने अपने प्रिंट पार्टनर मीडिया मंत्र (मीडिया पर केंद्रित हिंदी की मासिक पत्रिका) के साथ मिलकर पिछले दिनों एक ऑनलाइन सर्वे करवाया। सर्वश्रेष्ठ महिला एंकर और सबसे ग्लैमरस एंकर के अलावा कुल 12 सवाल सर्वे में पूछे गए। यह सर्वे 15 फरवरी से 6 मार्च के बीच हुआ। पुरी ख़बर मीडिया ख़बर.कॉम पर। लिंक : http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=107&tid=808

Friday, March 20, 2009

हिन्दुत्व और डम्पीत्व का संगम वरुण गांधी

हिन्दुत्व और डम्पीत्व का संगम वरुण गांधी - अमलेन्दु उपाध्याय : शुक्रवार, 20 मार्च, 2009
भाजपा के नए युवराज और गांधी परिवार से बहिष्कृत, वरुण गांधी अपने विवादास्पद बयान के कारण आजकल सुर्खियों में आ गए हैं। उ0प्र0 के पीलीभीत में वरुण ने कहा कि ‘बड़े डरावने नाम होते हैं इनके करीमुललाह, मजरुल्लाह.......’। अब भाजपा बहिष्कृत गांधी के बयान से पल्ला भी झाड़ रही है और उनकी पीठ भी थपथपा रही है। भाजपा के छद्म मुस्लिम नेता वरुण के खिलाफ आक्रामक होने का नाटक कर रहे हैं। लेकिन वरुण सुलझे हुए राजनीतिज्ञ हैं। भले ही उनकी उम्र कम है लेकिन राजनीति के कीड़े उन्हें विरासत में मिले हैं, वे जानते हें कि गांधी परिवार से दुरियाए जाने के बाद वे जिस आतंकवादी जमात में शामिल हुए हैं वहां जो जितना बड़ा बतोलेबाज और असभ्य होगा उतना ही जल्दी तरक्की पाएगा। सो वरुण ने कुछ गलत थोड़े ही न कहा, अपनी जगह पक्की की है! पुरा लेख मीडिया ख़बर.कॉम पर । लिंक : http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=30&tid=804

कैसे करें कम्युनिटी रेडियो की शुरुआत ?


कैसे करें कम्युनिटी रेडियो की शुरुआत ?- आशीष सिंह, शुक्रवार, 20 मार्च, 2009
भारत सरकार ने पहले पहल तो केवल IIT और IIM जैसे उच्च संस्थानों को कम्युनिटी रेडियो शुरू करने की अनुमति दी थी। लेकिन जब उसे यह समझाया गया कि सामुदायिक रेडियो का उद्देश्य इन संस्थानों की सब सुविधा भोगने वाली और भविष्य में तगड़ी रकम कमाने वाली जनसंख्या का मनोरंजन करना नही बल्कि जानकारी और अभिव्यक्ति के अभाव में मूलभूत सुविधाओं से दूर जन-सामान्य की आवाज़ को प्रसारित करना है; तब सरकारी महकमा कुछ हिला डुला और कम्युनिटी रेडियो के लिए पॉलिसी में बदलाव किया गए। अब गैर सरकारी नॉन-प्रोफिट संस्थाओं को भी कम्युनिटी रेडियो शुरू करने की अनुमति मिल गई है। पुरा लेख मीडिया ख़बर.कॉम पर। लिंक : http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=27&tid=806

Thursday, March 19, 2009

न्यूजरूम में विविधता : एक वर्जित विषय पर अश्लील चर्चा

न्यूजरूम में विविधता : एक वर्जित विषय पर अश्लील चर्चा - दिलीप मंडल, संपादक, ईटी हिंदी।कॉम : गुरुवार, 19 मार्च, 2009

अमेरिका में इस चर्चा से अब कोई तूफान खड़ा नहीं होता। कई पश्चिमी देश इस चर्चा के अभ्यस्त हैं। बात हो रही है न्यूजरूम में विविधता की। न्यूजरूम में अल्पसंख्यक और कमजोर समूहों को लाने की। बल्कि जैसा देश है वैसा न्यूजरूम बनाने की। भारत में ये वर्जित विषय है। दिल्ली के किसी भी न्यूजरूम के ऊपर के दस पदों में एक भी दलित के न होने और बाकी समूहों की कम उपस्थिति को लेकर किए गए एक सर्वे को मेरिट विरोधी और न्यूजरूम में जातिवाद फैलाने की कोशिश के तौर पर देखा गया। ऐसे में दिलीप मंडल बता रहे हैं॥

पूरालेख मीडिया ख़बर पर : http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=34&tid=801

Wednesday, March 18, 2009

मीडिया ख़बर पर नई प्रविष्टियाँ

*एक पत्र न्यूज़ चैनल के संपादकों के नाम
http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=31&tid=800

*सहारा समय से राजीव बजाज की छुट्टी
http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=83&tid=797

* भारत का पहला फ़ूड चैनल अप्रेल तक आएगा
http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=63&tid=795

* लाइव टुडे का टेस्ट सिग्नल शुरू
http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=58&tid=794

Tuesday, March 17, 2009

उस रात को कभी भूल नही पाऊंगा - दीपक चौरसिया



उस रात को कभी भूल नही पाऊंगा

उस रात को कभी भूल नही पाऊंगा- दीपक चौरसिया , एडिटर(नेशनल न्यूज़), स्टार न्यूज़


दीपक चौरसिया देश के सबसे लोकप्रिय टेलीविजन पत्रकारों में से एक हैं। पिछले 15 साल के दौरान देश में जितने भी बड़े घटनाक्रम घटे हैं उन सबको इन्होंने बहुत करीब से देखा, समझा और उसे लोगों तक पहुंचाया है। हाल ही में मुंबई में हुए आतंकवादी घटनाओं को कवर करने के लिए भी वे खास तौर पर स्टार न्यूज़ की तरफ से मुंबई गए। इस पूरे घटनाक्रम के बारे में वे क्या सोचते हैं और टेलीविजन पत्रकारिता के लिए यह कितना महत्वपूर्ण लम्हा था। इन सब के बारे में इस लेख के माध्यम से वे खुद बता रहे हैं। आगे मीडिया ख़बर.कॉम पर। लिंक : http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=35&tid=796

हिंदी के न्यूज़ चैनल अपने आप को असभ्य समाज का हिस्सा मानते हैं

हिंदी के न्यूज़ चैनल अपने आप को असभ्य समाज का हिस्सा मानते हैं - प्रोफ़ेसर असग़र वजाहत

टेलीविजन चैनलों ने मुंबई में हुई आतंकवादी घटना को जिस तरह से दिखाया उससे एक ग़लत परंपरा की शुरुआत हुई है। पूरी घटना को बहुत ही अधिक नाटकीय, अतिरंजित, सनसनीखेज और गैर जरूरी तरीके से लोगो के सामने पेश किया. एक ही घटना की गैरजरूरी तरीके से पुनरावृति होती रही. विजुअल न होने के बावजूद बार - बार एक ही चीज को सिर्फ़ वायस ओवर के ऊपरलगातार दिखाया जाता रहा. कहने का मतलब है की पूरी घटना के दौरान जैसी कवरेज़ की गई उससे न केवल देखने वाले दर्शकों का नुकसान हुआ बल्कि एक ग़लत परम्परा की शुरुआत भी हुई. . पुरी ख़बर मीडिया ख़बर पर। लिंक : http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=34&tid=787

Tuesday, March 10, 2009

मीडिया की आधी दुनिया

भारत में मीडिया इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रहा है। मीडिया की इस तेज रफ़्तार के साथ-साथ आज महिलाएं भी पुरुषों से कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं। और देखा जाए तो कई जगहों पर उनसे आगे भी चल रही है। टेलीविजन न्यूज इंडस्ट्री भी इससे अछूता नही है। यहाँ पर भी महिलाओं का बोलबाला है। यदि आप अपने टेलीविजन सेट पर किसी भी समय न्यूज चैनलों को एक-एक कर देखेंगे तो पाएंगे कि आधे से अधिक चैनलों पर कोई-न-कोई महिला एंकरिंग करती नजर आएगी। अगर आप उसमें दिखाई जाने वाली स्टोरी भी देखें तो पाएंगे कि पचास फीसदी स्टोरी ... आगे की ख़बर मीडिया ख़बर पर। लिंक : http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=34&tid=779

न्यूज़ नहीं, नौटंकी चैनल हैं (कहानी)

वो ठट्ठा मार कर हंस रहे थे और मैं शर्म से लथपथ ज़मीन में गड़ा जा रहा था, हर पल, निरंतर, लगातार... क्या कहूं, कैसे जवाब दूं, सब कुछ समझ से परे हो गया था। उन्होने कुछ इस अंदाज़ में कहा था कि मुझे लगा मेरे कानों में खौलता-पिघला सीसा उतार दिया गया हो. एक-एक शब्द नश्तर की मानिंद मेरी आत्मा को लहुलुहान करता जा रहा था. काश, ये ट्रेन पटरियों की बजाय मेरे सिर पर से गुज़र रही होती. वो 4 थे. पांचवीं सीट मेरी थी. और छठी सीट पर एक सांवली लेकिन बेइंतहा खूबसूरत...

पुरी कहानी मीडिया ख़बर.कॉम पर । लिंक : http://mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=29&tid=781

Friday, March 6, 2009

मीडिया का चंडूखाना !

"क्यों रे चंडूखाना, यहां क्या कर रहा है? चल भाग यहां से... " मुंडेर पर बैठे कौऐ की कर्कश आवाज़ से भी ज्यादा तीखी थी उसकी आवाज़। आंखें गोल-गोल, चश्मे के भीतर से खा जाने वाले अंदाज़ में यों घूर रहा था कि मानों बगैर मुझे खाए चैन नहीं आएगा उन्हे. सफाचट टकला और गोल-गोल तोंद. कद बमुश्किल सवा चार या साढ़े चार फीट. देखने में वो किसी हलवाई सा लगता था लेकिन वो था पत्रकार. नाम था रंजीव महान. एक राष्ट्रीय टीवी न्यूज़ चैनल में क्राइम रिपोर्टर था. तूती बोलती थी उसकी... आगे मीडिया ख़बर.कॉम पर। लिंक : http://www.mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=29&tid=775

वॉट एन Idea Sir Jee..।

हरी आंखें ले लो॥भूरे बाल ले लो...ब्लॉण्ड बाल चाहिये वो भी मिलेगा। बच्चे की शक्ल जेम्स बॉंड की तरह हाई चीक बोन्स और नीली आंखों वाली चाहिये, हमसे संपर्क कीजिये। लॉस एंजीलीस की एक फर्टिलिटी क्लीनीक ने ये विज्ञापन डाल कर नये नये मां-बाप बनने की होड़ में लगे यंग कपल्स को उत्साहित कर दिया है। फक्र तो उस बात पर किया जाता है कि देखो बच्चे की शक्ल मम्मी पर गयी है या डैडी पर। शायद अपने नानाजी पर गया है। देखो तो इसकी ललाट। बिल्कुल अपने दरोगा दादाजी की तरह। पुरी ख़बर मीडिया ख़बर.कॉम पर । लिंक: http://www.mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=30&tid=776

जब वो स्वर्ग की सीढ़ी दिखाना भूल गए

सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज़ की डायरेक्टर पी।एन।बासंती ने मुंबई धमाके की लाइव कवरेज को साठ घंटे का रियलिटी शो करार दिया। उनका मानना है कि मुंबई के होटलों में फंसे लोगों के साथ जो कुछ भी हो रहा था उसे न्यूज चैनलों ने ऑडिएंस की ड्राइंग रुम में कुछ इस तरह पहुंचाया कि उस खबर की शक्ल रियलिटी शो में बदल गयी। (एनडीटीवी इंडिया : मुकाबला दिसं 12, 08)। ऐसा कहते हुए बासंती ने किसी भी चैनल का नाम नहीं लिया और वैसे भी मीडिया एथिक्स के लिहाज से ... पुरी ख़बर मीडिया खर.कॉम पर। लिंक : http://www.mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=90&tid=774

Thursday, March 5, 2009

प्लीज, डोन्ट से नो..।

प्लीज, डोन्ट से नो॥।- वुमन पावर क्या है। हिंदुस्तान की फौज में महिलायें मोर्चे पर जायेंगी। क्या ये वुमन पावर है। रॉन्ग। महिलायें फाइटर जेट उड़ायेंगी। क्या ये वुमन पावर है। ये भी गलत। मल्टीनेश्ल कंपनियों में ऊंचे पदों पर महिलायें काबिज हैं। ये वुमन पावर है। यू आर अगेन रॉन्ग। बार, कैफे में और पार्टियों में महिलायें पुरूष के साथ जाम से जाम टकराकर सिगरेट के धुंए में जिंदगी के मज़े बटोर रहीं। क्या ये वुमन पावर है। पुरा लेख मीडिया ख़बर.कॉम पर। लिंक : http://www.mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=30&tid=771

ब्रेकिंग न्यूज : स्क्रीन को वाइब्रेट और रोचक बनाए रखने का टूल

ब्रेकिंग न्यूज : स्क्रीन को वाइब्रेट और रोचक बनाए रखने का टूल-

ब्रेकिंग न्यूज नाम का जुमला हमने पश्चिमी मीडिया से लिया है। वहां इसके मायने क्या हैं, इसे जानने के लिए अगर हमारा संदर्भ सीएनएन और बीबीसी है तो हमारे देश में इस जुमले के गलत इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन, हमें ऐसा कहते हुए यह नहीं भूलना चाहिए ।आगे मीडिया ख़बर.कॉम पर । लिंक : http://www.mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=57&tid=772

Tuesday, March 3, 2009

पांडु ब्रदर्स एण्ड Sons : प्रभात शुंगलू, एडिटर, स्पेशल एसाइनमेंट, आईबीएन 7

अजित सिंह ने फिर बीजेपी और एनडीए का दामन थामा है। 7 सीटों के लिये ही सही मगर अजित सिंह को लगता है यहीं मेक OR ब्रेक मौका है। कैलकुलेशन किया, 4 सीटें भी जीते तो दो मिनिस्टर बर्थ तो पक्की। एक अपनी एक अनु की। कमोबेश यही हाल ओम प्रकाश चौटाला, ममता बनर्जी, चंद्रबाबू नायडू, जयललिता, समाजवादी पार्टी का है। कभी कहीं तो कभी कहीं। कभी एनडीके के साथ तो कभी यूपीए के साथ। जब यूपीए के साथ हैं तो एनडीए साम्प्रदायिक लगता है, जब एनडीए के साथ तो गैर-कांग्रेसवाद फेविकोल का काम करता है। यानि चित्त हम जीते, पट तुम हारे। आगे मीडिया ख़बर.कॉम पर पढ़ें। http://www.mediakhabar.com/topicdetails.aspx?mid=30&tid=767